जो गुजर चुका उसे पकड़कर रख्खे जो आया ही नही, उसे बांधकर रख्खे – ऐसी नादानीवाला यह आदमी का दिमाग कैसे देख पाए ? जिंदगी का अब और अभी.. -अरुण
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