Man ki laharen
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मनुष्य इस तरह से संस्कारित है कि उसे
हर कृति के पीछे किसी कर्ता का होना
अपरिहार्य जान पड़ता है.
इस सत्य को कि जगत में
कर्ता होता ही नहीं केवल प्रक्रिया, क्रिया
या कृति ही होती है, अगर ठीक से देख लिया जाए
तो फिर विचार के पीछे विचारक का होना भी
कितना भ्रामक है, यह भी समझ आ जाएगा
-अरुण
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