Menu
blogid : 13187 postid : 574943

जीवन सहजता से विकसित हो

Man ki laharen
Man ki laharen
  • 593 Posts
  • 120 Comments

स्वाभाविक विकास हर जीवन की
जरूरत है, मानव जीवन भी
एक वृक्ष की तरह,
बीज से फलना, उभरना और फिर
मिटटी में मिलकर पुनर्जीवित होना चाहता है,
मनुष्य की इस जीवन उत्क्रांति की प्रक्रिया में
जीवन की गाड़ी को
संसारिकता के स्टेशन से गुजरकर आध्यत्मिक अंत तक
बढना होता है.
परन्तु होता यह है कि
जीवन-गाड़ी इस स्टेशन पर आकर रुक जाती है,
वहीं रमकर थम जाती है और
सहज रूप से मिटटी में मिलकर
पुनर्जीवित होने की प्रक्रिया से वंचित रह जाती है,
उसका सहज विकास थम जाता है,
उसे विवश होकर ही मिटना पड़ता है
-अरुण

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply