Man ki laharen
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आँख-विशेषज्ञों के एक छोटे समूह साथ
जब सत्य–अनुसन्धान सम्बन्धी चर्चा करने का
मौका मिला, उस समय उन्हें नीचे दर्शाए दृष्टान्त द्वारा
अपनी बात समझाने का प्रयास किया गया
नजर में खोट है तो दिखती जो भी दुनिया खोटी है,
है इससे बच निकलने की जो ढूंढी राह खोटी है
-अरुण
असीम को देख सकने की
क्षमता रखने वाली विशाल आँखें
समाज-जीवन की जरूरत मुताबिक
संकुचित बनने या ढलने की प्रक्रिया में
खोट यानि त्रुटी से भर जाती है,
और फिर
इस त्रुटी-पूर्ण नजर से देखा-समझा गया हर
अनुभव अपनी वास्तविकता सही सही
उजागर नही होने देता,
मनुष्य के देखने में भूल होने के कारण
वह गलत रास्तों से गलत मंजिल की ओर
भटक जाता है,
नजर को ठीक करके देखना ही
एक मात्र करेक्शन्स है
-अरुण
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