Man ki laharen
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अस्तित्व-भूमि में पड़े हुए
अज्ञान-बीज पर जब
सही खोज, स्पष्ट-दृष्टि और
निष्ठाभरी कोशिशों का सिंचन होता है
तो ज्ञान अंकुरित हो उठता है
परन्तु दुर्भाग्यवश जब उसे कोई
रेडीमेड या मिथ्याज्ञान ढक देता है
तो वह बीज अपनी
अज्ञान अवस्था में ही
सड जाता है
-अरुण
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