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’है-पन’ और ‘नही-पन

Man ki laharen
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मैं नहीं तो दुनिया भी नहीं

दुनिया नहीं तो मै भी नहीं

यानि

या तो दोनों संयुक्त रूप से हैं

या दोनों ही संयुक्त रूप से नहीं हैं

यानि

केवल अस्तित्वगत है – ’है-पन’ और ‘नही-पन’

इस ‘है-पन’ को अस्तित्वसे एक बनकर

समझना ही – सारीं दुनिया को समझने जैसा है

-अरुण

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